Bharti bhawan solution प्रकाश का परावर्तन best notes for board exam 2022
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किसी विंदु-स्रोत से आती प्रकाश की किरणें दर्पण से परावर्तन के बाद जिस विंदु पर मिलती हैं या जिस बिंदु से आती हुई प्रतीत होती हैं, उसे उस विंदु-स्रोत का प्रतिबिंब कहते हैं।
प्रतिबिंब दो प्रकार के होते हैं
(i) वास्तविक प्रतिबिंब (real image)
(ii) आभासी या काल्पनिक प्रतिबिंब (virtual image)
(i) वास्तविक प्रतिबिंब-किसी विदु-स्रोत से आती प्रकाश की किरणें दर्पण से परावर्तन के वाद जिस बिंदु पर वास्तव में मिलती हैं, उसे उस बिंदु-स्रोत का वास्तविक प्रतिबिंब कहते हैं। अतः, वास्तविक प्रतिबिंब पर्दे पर प्राप्त किया जा सकता है। वास्तविक प्रतिबिंब वस्तु की अपेक्षा हमेशा उलटा होता है।
(ii) आभासी प्रतिबिंब–किसी बिंदु-स्रोत से आती प्रकाश की किरणें परावर्तन के बाद जिस बिंदु से आती हुई प्रतीत होती हैं, उसे उस बिंदु-स्रोत का आभासी प्रतिबिंब कहते हैं। अत:, आभासी प्रतिबिंब को पर्दे पर नहीं प्राप्त किया जा सकता। आभासी प्रतिबिंब वस्तु की अपेक्षा हमेशा सीधा होता है।
[द्रष्टव्य-आभासी प्रतिबिंबों को सदा बिंदुओं से या टूटी रेखाओं से दिखाया जाता है।]
पार्श्व परिवर्तन-
F—दर्पण का फोकस
A’B’ —मुख्य अक्ष पर बनाजब हम अपने ही प्रतिबिंब को दर्पण में देखते हैं तो पाते हैं कि वह हर तरह से हमारे ही समान है। परंतु, ध्यान से देखने पर एक अंतर का पता चलता है-यदि हम अपना दाहिना हाथ उठाते हैं तो लगता है कि प्रतिबिंब का बायाँ हाथ उठ रहा है। दूसरे शब्दों में, वस्तु का दाहिना भाग समतल दर्पण में प्रतिबिंब का बायाँ भाग तथा वस्तु का बायाँ भाग प्रतिबिंब का दाहिना भाग दिखाई पड़ता है (चित्र 1.6)। इसी को पार्श्व परिवर्तन (lateral inversion) कहते हैं।
समतल दर्पण( (Plane mirror ) द्वारा बने प्रतिबिंब(image ) की विशेषताएँ
1. प्रतिबिंब दर्पण के पीछे बनता है।
2. प्रतिबिंब(image ) का आकार(size ) वस्तु के आकार(size of object) के सामान होता है।
3. प्रतिबिंब वस्तु की अपेक्षा सीधा बनता है।
4. प्रतिबिंब पाश्विक रूप से उलटा होता है।
5. प्रतिबिंब आभासी होता है (अत:, हम इसे पर्दे पर नहीं प्राप्त कर सकते)। .
6. वस्तु को दर्पण के जितना आगे रखेंगे प्रतिबिंब दर्पण से उतना ही पीछे बनेगा है
द्रष्टव्य-चम्मच के दोनों सतहों से बने प्रतिबिंब लगभग वैसे ही होते हैं जैसा कि गोलीय दर्पणों (spherical mirrors) से बनते हैं।
गोलीय दर्पण गोलीय दर्पण (spherical mirror) –
गोलीय दर्पपण की परावर्रातक सतह एक खोखले गोले (hollow sphere) का भाग होती है।
काँच के इस टुकड़े की बाहरी सतह को रजतित करने से अवतल दर्पण (concave mirror) बनता है (चित्र 1.8a) , जबकि टुकड़े के भीतरी सतह को रजतित करने पर उत्तल दर्पण (convex mirror) बनता है (चित्र 1.8b)। अवतल दर्पण (concave mirror )में प्रकाश का परावर्तन(Reflection of light) दर्पण की भीतरी सतह से होता है, उत्तल दर्पण (convex mirror) में प्रकाश का परावर्तन (Reflection of light) दर्पण की बाहरी सतह से होता है।
गोलीय दर्पण से संबंधित विभिन्न पद
गोलीय लीय दर्पणों द्वारा प्रतिबिंबों के बनने की क्रिया को समझने के लिए निम्नलिखित पदों की जानकारी आवश्यक है (चित्र 1.9)।
1. ध्रुव-गोलीय दर्पण के मध्यबिंदु को दर्पण का ध्रुव (pole) कहते हैं। चित्र 1.9 में बिंदु P दर्पण का ध्रुव है।
2. वक्रता-केंद्र-गोलीय दर्पण जिस गोले का भाग होता है, उस गोले के केंद्र को दर्पण का वक्रता-केंद्र (centre of curvature) कहते हैं। चित्र 1.9 में बिंदु C दर्पण का वक्रता-केंद्र है।
3. वक्रता-त्रिज्या-गोलीय दर्पण जिस गोले का भाग होता है उसकी त्रिज्या को दर्पण की वक्रता-त्रिज्या (radius of curvature) कहते हैं। चित्र 1.9 में PC = R, दर्पण की वक्रता-त्रिज्या है।
4. प्रधान या मुख्य अक्ष-गोलीय दर्पण के ध्रुव से वक्रता-केंद्र को मिलानेवाली सरल रेखा को दर्पण का प्रधान या मुख्य अक्ष (principal axis) कहते हैं। चित्र 1.9 में P तथा C को मिलानेवाली सरल रेखा PC मुख्य (प्रधान) अक्ष है।
अवतल दर्पण का फोकस किसे कहते है
अवतल दर्पण का फोकस उसके मुख्य अक्ष पर वह बिंदु है, जहाँ मुख्य अक्ष के समांतर आती किरणें दर्पण से परावर्तन के वाद मिलती हैं।
.
.
उत्तल दर्पण का फोकस किसे कहते है
किसी उत्तल दर्पण का फोकस उसके मुख्य अक्ष पर वह बिंदु है जहाँ से मुख्य अक्ष के समांतर आती किरणें दर्पण से परावर्तन के बाद आती हुई प्रतीत होती हैं।
फोकस F से दर्पण के ध्रुव P की दूरी को दर्पण की फोकस-दरी (focal length) कहते हैं। चित्र 1.10 और 1.11 में PF फोकस-दूरी है। इसे f से सूचित किया जाता है।
गोलीय दर्पण (spherical mirror) की फोकस-दुरी (focus distance ) और उसकी वक्रता-त्रिज्या (Radius of curvature ) में संबंध
गोलीय दर्पण (spherical mirror) की फोकस-दूरी (focus distance ) उसकी वक्रता-त्रिज्या (Radius of curvature )की आधी (half) होती है।
चित्र 1.13 में एक अवतल दर्पण (concave mirror) BB’ है जिसका ध्रुव (pole) P है और PC मुख्य अक्ष है। AB एक आपतित किरण है जो अवतल दर्पण के मुख्य अक्ष PC के समांतर और निकट है। परिभाषा से, किरण AB दर्पण से परावर्तन के बाद मुख्य फोकस F से होकर गुजरती है।
चूँकि, त्रिज्या CB दर्पण-सतह के B बिंदु पर अभिलंब है,
इसलिए परावर्तन के नियम से,
ABC =
CBF
लेकिन ,
ABC =
BCF (एकांतर कोण युग्म से )
..
CBF =
BCF
फलस्वरूप
BCF एक समद्विबाहु त्रिभुज है।
अत:, BF = FC (समद्विबाहु त्रिभुज की भुजा होने के कारण)
यदि B, P के बहुत ही निकट हो, तो BF = PF (लगभग) …
PF = FC = PC/2 या
F=R/2
जहाँ PC = R (दर्पण की वक्रता-त्रिज्या)।
हम देखते हैं कि दर्पण चाहे अवतल हो या उत्तल, यदि आपतन बिंदु धृव से बहुत दूर न हो, तो फोकस-दूरी, दर्पण की वक्रता-त्रिज्या की आधी होती है
PF=FC या PC = 2PF R = 2F
F=R/2… (1.1)
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प्रतिबिंब का आरेख बनाने के नियम
1. मुख्य अक्ष के समांतर आपतित किरण-दर्पण के मुख्य अक्ष के समांतर (parallel) आनेवाली किरण दर्पण से परावर्तन के बाद
a) दर्पण यदि अवतल हो, तो उसके फोकस F से होकर जाती है (चित्र1.14a) और
(b) दर्पण यदि उत्तल हो, तो उसके फोकस F से आती प्रतीत होती है (चित्र 1.14b)।
2. फोकस की दिशा में आपतित किरण (incident ray ) परावर्तन के बाद दर्पण के मुख्य अक्ष या मुख्य अक्ष (main axis or principal axis) के समांतर निकलती है (चित्र 1.15a तथा 1.15b)।
3. वक्रता-केंद्र की दिशा में आपतित किरण-चूँकि वक्रतात्रिज्या दर्पण पर स्थित किसी बिंदु पर अभिलंब होती है, इसलिए जो किरण दर्पण के वक्रता-केंद्र C की दिशा में दर्पण पर पड़ती है वह दर्पण पर लंबवत होती है। अत:, परावर्तन के बाद वह किरण उसी पथ पर लौट जाती है (चित्र 1.16a तथा 1.16b)।
4. ध्रुव की दिशा में आपतित किरण-चूँकि ध्रुव P पर प्रधान अक्ष दर्पण पर अभिलंब है, यदि कोई किरण दर्पण पर ध्रुव की दिशा में मुख्य अक्ष से। कोण बनाती हुई आपतित
हो, तो परावर्तन के नियम से परावर्तित किरण भी मुख्य अक्ष से । के बराबर का कोण । बनाती हुई निकलेगी (चित्र 1.17a तथा 1.17b)।
[ब्राव्य-उपर्युक्त सभी स्थितियों में परावर्तन के नियमों का पालन होता है। आपतन बिंदु पर, आपतित किरण का परावर्तन इस प्रकार होता है कि
(i) परावर्तित किरण, आपतित किरण और आपतन बिंदु पर अभिलंब एक तल, जिसे आपतन तल (plane of __incidence) कहा जाता है, में होता है; और
(ii) परावर्तन कोण आपतन कोण i के बराबर होता है।
गोलीय दर्पण में बने प्रतिबिंव
P-दर्पण का ध्रुव
PC दर्पण का मुख्य अक्ष
C-दर्पण का वक्रता-केंद्र
A’B’—मुख्य अक्ष पर रखी वस्तु
भारती भवन क्लास 10 प्रकाश का परावर्तन – bharti bhawan class 10 प्रकाश का परावर्तन
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